Hindi Poem on Life written by Rahul Desai. The poem beautifully explains the relations shared by a writer and Life.
ज़िंदगी और मेरा रिश्ता अजीब सा है,
वो हंसती है मुझ पर, मैं उससे खफा सा रहता हूं।
कभी उसके संग चलते हैं मेरे ख्वाब,
कभी मैं अकेला, वो कहीं दूर सा है।
कभी उसकी राहें फूलों की चादर सी लगती हैं,
कभी कांटों भरी, और वीरान सी लगती हैं।
कभी मैं उसे जीतने की ज़िद करता हूं,
कभी उसके इम्तिहान में हार जाता हूं।
ज़िंदगी और मैं, बस यूं ही चलते रहेंगे,
कभी साथ, कभी जुदा से होते रहेंगे।
इस खेल में ज़िंदगी अक्सर हार जाती है,
पर हम यादों की दुनिया में अमर रह जाते है
– Rahul Desai ‘राही..’
Every person can relate this to their Life.
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Allow me to introduce myself as an aspiring writer with a passion for inspiring individuals in both their personal and professional journeys. My aim is to shed light on the essence of life, emphasizing the significance of relationships and fostering personal growth. Through my writing, which encompasses small quotes, short poems, and articles, I strive to empower others to navigate life's complexities with clarity and purpose.